मानसून के सिस्टम हवा से हो गए डायवर्ट,चार दिन बाद पड़ सकती है राहत की बौछारें

भोपाल,मानसून की बेरूखी को लेकर मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अभी तक बने मानसून के सिस्टम हवा से डायवर्ट हो गए, जिससे प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में तो अच्छी बरसात हुई, लेकिन प्रदेश के मध्य में राजधानी और आसपास के जिलों को सिर्फ हल्की बौछारों से ही संतोष करना पड़ा है। जून-जुलाई माह में चार साल बाद मानसून की ऐसी बेरुखी देखने को मिल रही है। रोजाना सुबह से आसमान में उम्मीद के बादल बादल तो छाते हैं,लेकिन बरसते नहीं हैं। इस तरह का सिलसिला पिछले तीन दिन से लगातार बना हुआ है। ताजा मानसूनी हलचल को देखते हुए एक हफ्ते में राजधानी सहित प्रदेश के अनेक स्थानों पर अच्छा पानी बरसने की संभावना बन रही है। जुलाई का पहला हफ्ता रीता जाता देख किसानों के साथ ही अब आम लोगों की भी बेचैनी बढ़ने लगी है।सामान्यत: 6 जुलाई तक 20 सेमी. बरसात होना चाहिए। लेकिन इस वर्ष अभी तक सिर्फ 11.5 सेमी. पानी ही बरसा है,जो कि सामान्य से 36 फीसदी कम है। उधर वातावरण में आद्रता(नमी) बनी रहने के कारण धूप निकलते ही उमस परेशान करने लगती है। उधर बादलों के कारण रात का तापमान भी सामान्य से अधिक बना हुआ है। इससे रात में लोगों को कूलर-पंखे चलाना पड़ रहा है। सोयाबीन की बोवनी कर चुके किसान भी बेचैन होकर पानी के लिए आसमान की ओर ताक रहे हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ.अनुपम काश्यपि बताते हैं, कि इस तरह की स्थिति वर्ष 2014 में भी बनी थी। इस बार राजधानी और आसपास कम पानी के प्रमुख कारण अरब सागर में बना सिस्टम स्ट्रांग तो था, लेकिन वह 36 में से सिर्फ 15 दिन ही एक्टिव रहा। इससे मानसून को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिली। बंगाल की खाड़ी में अभी तक आंध्रा कोस्ट और उड़ीसा कोस्ट पर दो कम दबाव के क्षेत्र और एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना। लेकिन हवाओं के कारण इनका रुख बदला। इससे राजस्थान और गुजरात में अच्छी बरसात हुई। हालांकि इन सिस्टमों के कारण प्रदेश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में भी अच्छा पानी गिरा,लेकिन पश्चिम मप्र में सिर्फ हल्की बरसात से संतोष करना पड़ा। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में एक बार फिर स्ट्रांग सिस्टम बनने जा रहा है। इससे तीन चार दिन बाद मानसून को फिर ऊर्जा मिलना शुरू होगी। इससे पांच-छह दिन बाद राजधानी सहित अनेक स्थानों पर तेज बरसात की उम्मीद है। वर्तमान में एक ट्रफ(द्रोणिका)लाइन जो हरियाणा,उप्र.बिहार से पश्चिम बंगाल स्थित गंगा के मैदानी भाग से बंगाल की खाड़ी तक जा रही है। उसके तीन दिन में सरककर वापस प्रदेश की तरफ आने के आसार है। इस जबरदस्त सिस्टम से भी प्रदेश में सुस्त पड़े मानसून को जोरदार ऊर्जा मिलने की संभावना है।

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