भोपाल,प्रदेश सरकार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान ब्याज माफी योजना की घोषणा कर सकती हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय ने सहकारिता विभाग से योजना का मसौदा मांगा है। योजना के तहत करीब पांच लाख किसानों को 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की ब्याज माफी मिल सकती है। योजना का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इन किसानों को जीरो प्रतिशत पर कर्ज के साथ ही बीज और खाद लेने पर 10 प्रतिशत की छूट भी मिलने लगेगी। मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक योजना का मसौदा लगभग तैयार हो चुका है। इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। सहकारिता विभाग से मसौदा मांगा गया है। विभाग ने कर्जदार किसानों की जिलेवार संख्या निकालकर वसूली योग्य कर्ज और उस पर लगे ब्याज का ब्योरा तैयार कर लिया है। बताया जा रहा है कि 1 हजार करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा के ब्याज की छूट किसानों को मिल सकती है। इससे लगभग पांच लाख किसानों को सीधा फायदा होगा।
सूत्रों का कहना है कि मानसून सत्र में सरकार को घेरने विपक्ष का मुख्य हथियार किसान आंदोलन और उनसे जुड़े मुद्दे रहेंगे। मंदसौर गोलीकांड के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई थी लेकिन सदन में फ्रंटफुट पर खेलने की रणनीति बनाई जा रही है। कांग्रेस के आरोपों के जवाब में सरकार तमाम तर्कों के साथ किसानों के लिए योजनाओं का पिटारा भी खोल सकती है। कृषक ऋण समाधान योजना इसका ही एक हिस्सा होगा।उधर, जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के कर्जदार एक लाख से ज्यादा किसानों से वसूली के लिए लागू की गई एकमुश्त समझौता योजना एक जुलाई को बंद हो गई। 90 हजार से ज्यादा किसानों ने वादा करने के बाद इसका फायदा नहीं उठाया। बैंक की ओर से योजना को आगे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह भी तय नहीं है कि कर्जदार किसानों से कर्ज की वसूली किस तरह की जाएगी। बैंकों को बंधक जमीन नीलाम करने का अधिकार तो कानूनी रूप से है पर सरकार ने ऐसा करने पर रोक लगाई हुई है। सूत्रों का कहना है कि अलग-अलग राज्यों में हो रही कर्जमाफी को देखते हुए प्रदेश में भी अफसर कर्जदार किसानों के आंकड़े जुटाने में लग गए हैं। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण विकास बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा बांटे कृषि ऋण की जानकारी एकत्र की जा रही है। मालूम हो कि प्रदेश के 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक हर साल 12 से 15 हजार करोड़ रुपए का अल्पकालीन ऋण किसानों को देते हैं।