तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल पर संवैधानिक रेखा पार करने का आरोप लगाया

कोलकाता,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एवं राज्य के राज्यपाल केएन त्रिपाठी के बीच तकरार जारी है। तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल पर सभी संवैधानिक सीमाओं को ‘लांघने’ का आरोप लगाया। साथ हीं उन्हें याद दिलाया कि राजभवन ‘भाजपा का पार्टी कार्यालय नहीं हो सकता है।’ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने त्रिपाठी पर उन्हें धमकाने और ‘भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष’ की तरह काम करने का आरोप लगाया था जिसके एक दिन बाद पार्टी ने राज्यपाल की आलोचना की है। पार्टी सुप्रीमो ने कहा था कि उन्होंने इस ‘अपमान’ के चलते पद छोड़ने के बारे में भी सोचा था। टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी ने आरोप लगाया कि ‘राज्यपाल ने संवैधानिक रेखा पार कर ली है। जिस तरीके से उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की, उससे लगता है कि वह भूल गए हैं कि यह उत्तर प्रदेश नहीं है।’ चटर्जी ने यह भी कहा कि राज्यपाल का आधिकारिक आवास भाजपा का पार्टी कार्यालय नहीं हो सकता। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ‘वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं। एक वकील होने के नाते उन्हें मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच रिश्तों के बारे में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी के बारे में पता होना चाहिए इसलिए उन्होंने जो भी कहा वह पश्चिम बंगाल के लोगों का अपमान है।’ पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में एक आपत्तिजनक ‘फेसबुक पोस्ट’ के बाद चार जुलाई की रात को हुई साम्प्रदायिक झड़पों के बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच अप्रत्याशित तकरार सामने आई है। सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए बीएसएफ के 400 जवानों को भेजा है। चटर्जी ने कहा कि पार्टी ने पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लिखित में बता दिया है कि ‘यह राज्यपाल के आचरण के उपयुक्त नही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को लिखे पत्र की एक प्रति गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी भेजी गई है। राज्यपाल के बयान का जिक्र करते हुए यह पूछने पर कि गोपनीय बातचीत सार्वजनिक कैसे हुई, इस पर चटर्जी ने कहा, ‘आपने (त्रिपाठी) राजभवन में भाजपा नेताओं के एक दल से मुलाकात करने के बाद ही मुख्यमंत्री को फोन किया।’ राजभवन के एक बयान में मंगलवार को कहा गया था कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच की बातचीत ‘गोपनीय प्रकृति की है और इसे सार्वजनिक ना किया जाए।’ यह पूछने पर कि क्या टीएमसी राज्यपाल को हटाए जाने की मांग करती है, इस पर चटर्जी ने कहा कि ‘राज्यपाल ने जिस तरीके से मुख्यमंत्री से बात की, अगर वह इसके लिए खेद नहीं जताते तो हम कड़ा रूख अपनाएंगे।’ उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कहा था कि वह अपनी पार्टी संभालें। उन्होंने कहा, ‘यह अभूतपूर्व है। वह कैसे मुख्यमंत्री से उनकी पार्टी के सदस्यों को संभालने की सलाह दे सकते हैं। क्या वह भाजपा के प्रवक्ता बन गए है? वह संवैधानिक प्रमुख हैं।’

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