अशोकनगर,जिला अस्पताल में एक्स-रे की दोनों मशीने खराब होने के कारण मरीजों को एक्सरे के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। मशीन खराब होने के कारण मरीजों की पीठ और कमर के एक्सरे नहीं हो पा रहे हैं। 300 एमए व 60 एमए की दोनों एक्स-रे मशीन के खराब होने के कारण हो रहा है। जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में होने वाली बीमारियों और फ्रैक्चर का पता नहीं चल पा रहा है। इसके अलावा डिजीटल एक्स-रे मशीन भी नहीं है।
जिला अस्पताल में जो एक्स-रे मशीन है उनसे मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। दोनों मशीनों को खराब हुए 12 दिन बीत गए हैं। बंद पड़ी इन एक्स-रे मशीनों की दो दिन पहले भोपाल से आए इंजीनियर द्वारा जांच की गई थी। जांच के बाद इंजीनियर द्वारा 60 एमएम की छोटी मशीन को पूरी तरह नष्ट बताया था जबकि 300 एमएम की बड़ी मशीन की जांच के बाद मशीन के दो पार्टस खराब होने के कारण बंद होना बताया गया था। जिनको अभी तक ठीक नहीं कराया गया है। इस कारण मशीन बंद पड़ी हुई है। 300 एमए की यह मशीन बड़ी हड्डियों के एक्सरा करने के काम आती है। इस मशीन के खराब होने से रीढ़ की हड्डी के एक्स-रे नहीं हो पा रहे हैं। साठ एमए की जो छोटी मशीन है उससे छोटे फ्रेक्चर, हड्डी, ज्वांइट के एक्स-रे किये जाते हैं। लेकिन यह मशीन काफी पूरानी होने के कारण खराब हो गई है और इसके ठीक होने के भी कोई आसार नहीं है।
डिजीटल मशीन भी नहीं:
अस्पताल में डिजीटल एक्सरे मशीन भी नहीं है। इससे चिकित्सकों को एक्स-रे को समझने में परेशानी आती है। हालांकि डिजीटल एक्स-रे मशीन की मांग हेतु कई बार पत्र भेज दिया गया है। परन्तु अभी तक इसको स्वीकृती नहीं मिल पाई है।
गंभीर मरीजों को दिक्कत:
दुर्घटना में घायल मरीजों को इसमें सबसे अधिक परेशानी हो रही है। गंभीर घायलों का एक्स-रे कराने में परेशानी होती है। साथ ही मौके पर एक्सरे की रिपोर्ट नहीं मिल पाती है। उक्त समस्या के कारण डॉक्टर बाहर से एक्सरे कराने के लिए रेफर कर देते हैं। ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझ रहे मरीजों को परेशानी होती है।
नहीं हो रही मशीनों की समय पर सर्विस:
जिला अस्पताल में बनी पैथेलोजी और रेडियोलोजी में जांच के लिए जो मशीनें और उपकरण लगाई गई हैं उनकी जांच की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते रहे हैं। बताया जा रहा है कि मशीनों की सर्विसिंग एक निश्चित समय सीमा में की जानी चाहिए। मसलन एक्स-रे मशीन की सर्विस हर छ: माह में जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इस कारण इन मशीनों को ऑपरेट करने में लेव टेकनीशियन और ऑपरेटरों को परेशानी आती है। मशीनों की सर्विस न होने से यह ठीक से काम भी नहीं कर रही हैं। पैथेलोजी में रखी जांच मशीने तो कुछ ज्यादा ही गड़बड़ नजर आ रही हैं। इनकी सर्विस लम्बे समय से नहीं हुई है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक इन जांच मशीनों की एएमसी करने के लिए बाहर से इंजीनियर बुलाए जाते हैं जो कि अपना चार्ज लेकर इन मशीनों की रिपयरिंग और सर्विसिंग करते हैं।