पंचायतों को सशक्त बनाकर सामाजिक परिवर्तन का MP ने उदाहरण प्रस्तुत किया

भोपाल,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पंचायतों को सशक्त बनाकर सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है। मध्यप्रदेश ने इसका उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। मध्यप्रदेश में पंचायती राज की मूल अवधारणा को ग्राम स्तर तक पहुँचाया गया है। चौहान आज यहाँ राज्यों के पंचायती राज मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों को पूरा करने में मध्यप्रदेश अग्रणी है। आचार्य विनोबा भावे ने कहा था कि देश स्वतंत्र हो गया पर गाँव स्वतंत्र नहीं हुए। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अब देश स्वतंत्र है और गाँव भी स्वतंत्र हैं। ग्राम स्वराज की परिकल्पना को जमीन पर उतारा जा रहा है। मध्यप्रदेश में जनता से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण योजनाएँ पंचायतों के माध्यम से बनायी गई हैं। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित पंचायतों में संबंधित वर्ग के लोगों से संवाद के माध्यम से उनकी समस्यायों के निराकरण के लिये सुझाव लिये जाते हैं। इन्हीं पंचायतों के माध्यम से महिला कल्याण की लाड़ली लक्ष्मी योजना, बुजुर्गों के लिये मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना, किसानों के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण, छात्रों के लिये मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना जैसी अनेक योजनाएँ बनाई गई हैं। प्रदेश में अब तक 40 पंचायतें आयोजित की जा चुकी हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी है। देश में हुए स्वच्छता सर्वे में चयनित 100 में 22 शहर मध्यप्रदेश के हैं। ग्रामोदय से भारत उदय अभियान मध्यप्रदेश में डेढ़ माह चलाया गया। जिसमें ग्राम संसद, किसान संसद और महिला संसद आयोजित की गई। इसमें ग्रामों के दो साल के विकास की रूपरेखा बनाई गई। सबके लिये आवास की प्रधानमंत्री आवास योजना में मध्यप्रदेश में दो साल में साढ़े सात लाख आवास बनाये जा रहे हैं। किसान संसद में किसानों की आय को दोगुना करने के लिये हर गाँव का रोड मैप बनाया गया है जिस पर तेजी से अमल किया जायेगा।
पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की पहल करें राज्य
केन्द्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में पंचायतें और गाँव आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकास की जिम्मेदारियाँ बढने के कारण पंचायतों की क्षमता का विकास करना जरूरी हो गया है।
तोमर ने कहा कि राज्यों और केन्द्र सरकार पर पंचायतों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिये राज्यों के ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थानों को राज्य में ही स्थापित अच्छे संस्थानों के साथ समन्वय कर प्रशिक्षण देने की पहल करना चाहिये।
तोमर ने राज्यों द्वारा ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम के आकल्पन और क्रियान्वयन में सहयोग देने और उसे आगे बढ़ाने के लिये आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पंचायतों के प्रतिनिधियों की क्षमता को कमतर आँकना उचित नहीं है। विकास के प्रति उनकी सोच हमेशा सराहनीय होती है। उन्होंने कहा कि पंचायत राज प्रतिनिधियों को चुने जाने के प्रारंभिक वर्ष में ही प्रशिक्षण मिलना चाहिये, जिससे वे प्रशिक्षण और कौशल का उपयोग विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में कर सकें।
सम्मेलन में केन्द्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला, प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विश्वास सारंग एवं विभिन्न राज्य के पंचायत मंत्री उपस्थित थे। राज्यों के पंचायत राज मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों के अनुभव सुनाये और उत्कृष्ट कार्यों की चर्चा की।

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