CBSE की तरह फरवरी में होगी 11वीं तक की परीक्षाएं

भोपाल,सरकारी स्कूलों में अब पहली से लेकर ग्यारहवीं तक की परीक्षाएं सीबीएसई की तर्ज पर फरवरी महीने में हो जाएगी। विभाग यह कवायद इसलिए कर रहा है, ताकि परीक्षाएं फरवरी में समाप्त कर नया शिक्षण सत्र मार्च अंत में शुरू किया जा सके। इससे काफी कोर्स अप्रैल अंत तक पूरा किया जा सकेगा। वर्तमान व्यवस्था में छात्रों के करीब-करीब दो महीने बेकार जाते हैं। वे परीक्षाओं में ही उलझे रहते हैं। मालूम हो कि वर्तमान में फरवरी में परीक्षा की व्यवस्था सीबीएसई स्कूलों में लागू है। इस कारण इन स्कूलों में मार्च के तीसरे-चौथे सप्ताह से कक्षाएं लगना भी शुरू हो जाती हैं।
25 अप्रैल तक स्कूलों में ग्रीष्म अवकाश लग जाता है। इसका फायदा यह होता है कि कोर्स के करीब तीन-तीन अध्याय पूरे करवा दिए जाते हैं। छात्र गर्मी की छुट्टियों में घर पर इन्हें पढ़ते हैं। जून से स्कूल खुलने पर उनका करीब 20 फीसदी कोर्स पूरा हो चुका होता है। सरकारी स्कूल जून मध्य से लगना शुरू होते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस कारण छोटी कक्षाओं में करीब एक महीना पिछली कक्षा में पढ़ाए गए कोर्स के रिवीजन में ही लग जाता है। जब तक छात्रों को पिछला नहीं आएगा, उन्हें आगे नहीं पढ़ाया जा सकता क्योंकि उन्हें कुछ समझ नहीं आएगा। खासकर गणित और इंग्लिश में यह समस्या ज्यादा होती है। अगर फरवरी में परीक्षा समाप्त हो जाएं तो उन्हें करीब सवा महीने पढ़ाया जा सकता है। निश्चित रूप से इससे रिजल्ट में भी सुधार आएगा और बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
यह व्यवस्था पहली से नौवीं और 11वीं कक्षा में लागू की जाएगी। मार्च में हाई और हायर सेकंडरी की बोर्ड परीक्षा होती है। इन परीक्षाओं के समाप्त होते ही नया सत्र शुरू कर दिया जाएगा। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और इस पर सभी सहमत भी हैं। केवल एक समस्या यह है कि बोर्ड कक्षाओं की परीक्षा का मूल्यांकन होने की वजह से शिक्षकों की थोड़ी कमी रहेगी। बावजूद इसके प्रमुख विषय छात्रों को पढ़ाए जा सकते हैं। गर्मी में वे इसका रिवीजन कर सकते हैं।इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी का कहना है कि हमारी पूरा प्रयास है कि फरवरी में सभी स्थानीय परीक्षाएं हो जाएं। इसके लिए विभाग तैयारी भी कर रहा है। परीक्षाएं जल्द समाप्त होने से स्कूल मार्च अंत से लगाए जा सकते हैं। संबद्ध स्कूल भी इस व्यवस्था को लागू कर सकते हैं। निश्चित रूप से छात्रों को इसका लाभ मिलेगा।

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