गोमती रिवर फ्रंट घोटाला- आठ अभियंताओं पर FIR

लखनऊ, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट में हुई अनियमितताओं और घपलों की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपे जाने के बाद गोमती नगर थाने में आठ अभियंताओं और सात सेवानिवृत्त अभियंताओं तथा कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 419, 467 और 468 के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी। यह प्राथमिकी सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता शारदा खंड ने दर्ज करायी है। माना जा रहा है कि गोमती रिवर फ्रंट मामले की सीबीआई जांच भी हो सकती है। अधिशासी अभियंता शारदा खंड ने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है, उनमें गुलाब चंद (मुख्य अभियंता), एसएन शर्मा (मुख्य अभियंता), काजिम अली (मुख्य अभियंता), शिव मंगल यादव (अधीक्षण अभियंता), अखिल रमण (अधीक्षण अभियंता), कमलेश्वर सिंह (अधीक्षण अभियंता), रूप सिंह यादव (अधिशासी अभियंता) और सुरेन्द्र यादव (अधिशासी अभियंता) प्रमुख हैं। इसके अलावा सात सेवानिवृत्त अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।
विदित हो कि प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अगुवाई में चार सदस्यीय समिति ने गोमती रिवर फ्रंट मामले की जांच की थी। माना जा रहा है कि समिति की सिफारिश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच की भी सहमति दे दी है। इसलिए शीघ्र ही राज्य सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंप सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले गोमती रिवरफ्रंट पर भी शुरू से ही योगी सरकार की नजर टेढ़ी रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत एक अप्रैल को इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने के आदेश दिये थे। साथ ही उन्होंने एक समिति भी गठित करके उससे 45 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी थी। अधिकारियों के अनुसार परियोजना के लिये आवंटित 1513 करोड़ रपये में से 95 प्रतिशत धनराशि यानी 1435 करोड़ रपये खर्च हो जाने के बाद भी अब तक 60 प्रतिशत से भी कम काम हो सका है। इसके अलावा गोमती रिवर फ्रंट के विजन डाक्यूमेंट बनाने में भी घपला सामने आया है। बताया जा रहा है कि गोमती रिवर फ्रंट के विजन डाक्यूमेंट के लिए 9 अप्रैल 2015 को टेंडर मांगे गये थे। इसे 25 अप्रैल 2015 को खोला गया था। शुरू में 3.63 करोड़ रुपये का टेंडर स्वीकार किया गया। टेंडर में इसका क्षेत्रफल सात हेक्टेयर था, जिसमें नदी के 14 किमी. तक दोनों तरफ मास्टर डिटेल डिजाइन का काम होना था। इसके लिए एनार्च कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड नोयडा और एडकाम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव ने टेंडर डाला था। यह काम एडकाम को मिला था। टेंडर मिलने के बाद कार्य का क्षेत्रफल बढ़ाकर 31.2 किमी. कर दिया गया। इसी प्रकार इसका मूल इस्टीमेट 3.63 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6.85 करोड़ रुपये कर दिया गया।

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