हिंदी के गढ़ में हिंदी में फेल हुए 5.23 लाख छात्र

लखनऊ,हिंदी का गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चे बोर्ड की परीक्षा में हिंदी के सब्जेक्ट में फेल हो गए। 2017 में यूपी बोर्ड से 10वीं की परीक्षा देने वाले 5.23 लाख स्टूटेंड्स हिंदी में फेल हो गए, यह आंकड़ा परीक्षा देने वाले कुल स्टूडेंट्स का 20 फीसदी है। छात्रों की इतनी बड़ी संख्या का हिंदी का पेपर पास न कर पाना, चिंता का सबब बन गया है। 2017 में यूपी बोर्ड से 29 लाख छात्र 10वीं की हिंदी की परीक्षा में बैठे थे, जिसमें से 23.5 लाख छात्र पास हुए और 20 प्रतिशत फेल हो गए। हालांकि, पास प्रतिशत के लिहाज से देखें तो दसवीं में अंग्रेजी और हिंदी विषयों में पास होने वाले छात्रों की संख्या लगभग बराबर है। 81.28 प्रतिशत छात्रों ने हिंदी का एग्जाम पास किया और अंग्रेजी पेपर पास करने वालों का प्रतिशत 81.46 फीसदी रहा। यूपी सेकंडरी एजुकेशन टीचर्स असोसिएशन में राज्य सचिव आरपी मिश्रा ने कहा हिंदी के पेपर में 5.23 लाख छात्रों का फेल होना चिंताजनक है।यूपी बोर्ड में हिंदी में फेल होने वाले छात्र को उसी क्लास में डिटेन कर लिया जाता है।
साल 2012 में 35 लाख बच्चों ने हिंदी की परीक्षा दी थी, जिसमें से 3 लाख छात्र पास नहीं हो पाए थे। वहीं, उस वर्ष महज 40 फीसदी छात्रों को 50 फीसदी से ज्यादा मार्क्स मिले थे। साल 2011 में हिंदी का एग्जाम देने वाले 33 लाख छात्रों में से करीब 4.5 लाख छात्र फेल हो गए थे। शिक्षकों के एक समूह का कहना है कि हिंदी मातृभाषा है,इसलिए छात्र इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देते। वहीं, कुछ शिक्षकों का कहना है 2011 में दसवीं क्लास में सीसीई सिस्टम की शुरुआत के बाद से पास प्रतिशत घटने लगा। लगभग सभी भाषाओं का पास प्रतिशत हिंदी से ज्यादा है। उर्दू में जहां 87.78 फीसदी छात्र पास हुए, वहीं पंजाबी भाषा में पास पर्सेंटेज 85.71 पर्सेंट रहा। बांग्ला का रिजल्ट 100 फीसदी रहा। एक अधिकारी ने कहा,स्कूलों में हिंदी के लिए सुधार क्लासों का आयोजन करना चाहिए। क्लास 1 से अंग्रेजी को अनिवार्य किए जाने का फैसला सराहनीय है, लेकिन हिंदी के लिए भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए।’

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