शिवराज का उपवास ख़त्म, अब मंत्रालय से चलेगी सरकार

भोपाल,आखिरकार पिछले २८ घंटे उपवास पर बैठने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना उपवास ख़त्म करने का एलान का दिया. वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में उन्हें जूस पिलाकर उपवास ख़त्म कराया.उधर शिवराज की पत्नी साधना सिंह ने भी अपना उपवास समाप्त कर दिया है.उन्हें मंत्री माया सिंह ने जूस पीला कर उपवास ख़त्म कराया.

सीएम करीब दस दिनों से राज्य में जारी किसान आंदोलन के तीन रोज पहले  हिंसक हो जाने के बाद शनिवार को प्रदेश में शांति बहाली के लिए उपवास पर बैठे थे. सीएम ने कहा की उनके और किसानों के  सबंध अलग तरह हैं वह जबभी किसानों पर विपदा आई कभी शांति से नहीं बैठे उन्होंने कहा की किसान कभी हिंसक नहीं हो सकता हाल में हुए आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं में भी वह शरीक नहीं रहा है, उन्होंने कहा की ऐसे लोगों की पहचान कर ली गई है और उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी.

-समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी करने को अपराध माना जाएगा

-दूध खरीदी अमूल डेयरी की तर्ज पर किसानों से की जाएगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के नाम पर शांति भंग करने वालों ने राज्य को बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि किसानों के विरूद्ध किसी भी प्रकार का प्रकरण नहीं बनाया जाएगा, लेकिन ऐसे लोगों को नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश के नागरिकों की सेवा आखिरी साँस तक करते रहेंगे। कुछ लोग प्रदेश को आग में झोंकने का काम कर रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे ऐसे तत्वों की पहचान करें और भविष्य में सतर्क रहें। असामाजिक तत्वों को शांति भंग न करने दें। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की निजी सम्पत्तियों को नुकसान हुआ है उन्हें भी राहत दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2006 में बने स्वामीनाथन आयोग ने किसानों के लिये जो अनुशंसाएँ की थी उससे आगे बढ़कर मध्यप्रदेश ने काम किया है। स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन देने की सिफारिश की थी, जबकि राज्य सरकार माइनस 10 प्रतिशत पर खाद-बीज के लिये उन्हें ऋण दे रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिये लोन दे रही है। किसानों के कल्याण के लिये स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से भी आगे निकल गई है। स्वामीनाथन आयोग ने राज्यों से सिंचाई की व्यवस्था करने को कहा था। आज प्रदेश में 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है। हर क्षेत्र के लिये सिंचाई योजनाएँ बनाई गई हैं। हर खेत में पानी है। नर्मदा के जल से मालवा और अन्य क्षेत्रों में पानी पहुँच रहा है। आयोग की अनुशंसा के अनुरूप विलेज नॉलेज सेंटर बनाये जायेंगे ताकि किसानों को समय पर सलाह मिल सके। उन्होंने कहा कि बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने के लिए प्रदेश के सभी नगरों में किसान बाजार बनाए जाएंगे ताकि किसान अपनी उपज सीधे खरीदारों को बेच सकें। श्री चौहान ने कहा कि राज्य भूमि उपयोग परामर्श सेवा लागू की जाएगी ताकि किसानों को सही समय पर परामर्श मिले कि कौन सी फसल कितनी मात्रा में बोना चाहिए। किसी भी प्रकार से शहरी परियोजना के लिए कृषि भूमि जबरदस्ती अधिग्रहीत नहीं की जाएगी। किसानों की राय जरूरी है। किसानों को खसरा/खतौनी की नकल वर्ष में एक बार उनके घर नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी।
चौहान ने कहा कि किसानों के बेटों के लिये कई योजनाएँ बनाई गई हैं चाहे वे अपना रोजगार लगाये या पढ़ाई करें। पहले राहत देने के लिये तहसील इकाई थी अब किसान स्वयं इकाई है। उन्होंने कहा कि 1000 करोड़ की लागत से मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया जा रहा है। प्याज की खरीदी 8 रूपये प्रति किलो शुरू हो गई है। कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उड़द, तुअर और मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर होगी। जिन किसानों का सोयाबीन बचा रह गया है उसकी भी खरीदी की जाएगी।
चौहान ने कहा कि कोई भी उपज समर्थन मूल्य के नीचे नहीं खरीदी जाएगी। समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी करने को अपराध माना जाएगा। श्री चौहान ने किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दे पर उन्होंने कहा कि दूध खरीदी का सबसे अच्छा मॉडल अमूल डेयरी का है। इसी मॉडल के आधार पर दूध खरीदी की व्यवस्था की जाएगी। डिफाल्टर किसानों के लिये समाधान योजना बनाई जायेगी ताकि उन्हें दोबारा लोन मिल सके।
चौहान ने किसानों द्वारा आंदोलन वापस लेने और शांति बहाली में राज्य सरकार को सहयोग करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सभी समस्याएँ सुलझाई जायेंगी। उन्होंने किसानों से दो जुलाई को नर्मदा के किनारे होने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की।

आंदोलन करने वाले मध्यप्रदेश किसान यूनियन के उपाध्यक्ष अनिल यादव ने यह कहते हुए आंदोलन वापस लेने की घोषणा की कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी माँगें मान ली हैं। उन्होंने कहा कि लागत मूल्य देने की माँग बरसो पुरानी थी जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। आजादी के बाद पहली बार यह मांग स्वीकार की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *