आदिवासी पर्व गढ़ की रही धूम-धाम

झाबुआ, रविवार रात भील नगरी का राजवाड़ा चौक गढ़ पर्व की खुशियों से सरोबर रहा। यह पर्व फाल्गुनी मास की तेरस को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के लिये करीब 35-40 फीट चिकना लकड़ी का खंबा पूरी विधि ïिवधान से पूजा के साथ शाम ढले टे्रक्टर एवं जेसीबी मशीन की सहायता से खड़ा किया गया।
गढ़ पर्व को देखने के लिए राजवाडा चौक में बडी संख्या में आदिवासी एवं गैर आदिवासी शामिल हुए और गढ़ पर्व का आनंद उठाया। आरंभ में नपा कर्मियों ने ट्रेक्टर द्वारा रस्सों के सहारे गढ़ के खंबे को खड़ा कर उसकी पूजा कर शराब की धार दी तथा नारियल फोडक़र गढ़ पर्व की शुरूआत की। गढ़ के खंभे के सिरे तक पहुंचने वाले करीब डेढ़ दर्जन से अधिक मन्नतधारी एवं उत्साही युवाओं ने गढ़ के सीरे पहुंचने के बाद गुड से बंधी पोटली को खोला और गुड खाया इस दौरान उन्होने ऊपर से भी गुड नीचे जमा लोगों को लुटाया। गढ पर्व पर राजवाड़ा चौक में ढोल व मांदल की धुन पर थिरकते आदिवासी भगौरिया की यादें ताजा कर रहे थे।
रविवार को आयोजित गढ़ पर्व की विशेषता यह रही कि मन्नतधारियों ने सीधे खंबे पर चढऩे की बजाय शुरूआत से ही रस्सियों का सहारा लिया, इसके बाद ही उन्हें सफलता मिली। पर्व समापन के साथ ही पूजा विधि के साथ खंबे को ससम्मान वापस उखाड़ा गया, उसके बाद अनेक लोगों व मन्नतधारियों ने गढ़ पर अपना मत्था टेका। गढ़ पïर्व के समापन के साथ ही फाल्गुनी पर्व समाप्त हो गया।

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