देहरादून,अनशन के दौरान प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ़ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की मौत के बाद अब उनके साथी संत गोपाल दास ने संथारा के माध्यम से अपनी देह त्यागने की घोषणा की है। वह भी 117 दिनों से लगातार अनशन कर रहे हैं। सरकार द्वारा गंगा के शुद्धीकरण और गंगा नदी की अविरल धारा बिना किसी अवरोध के बहे, इस दिशा में कोई काम ना करने से नाराज संत गोपाल दास ने अब संथारा व्रत के माध्यम से देह त्यागने का निर्णय लिया है। उनके इस निर्णय से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिए काफी मुसीबतें खड़ी होंगी।
स्वामी गोपाल दास ने 13 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संथारा साधना के बारे में अवगत करा दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है संथारा साधना में सरकार द्वारा कोई खलल पैदा नहीं किया जाए, इसका अनुरोध उन्होंने पत्र में किया है। उनका यह भी मानना है कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की एम्स में जो मौत हुई है वह प्राकृतिक मौत नहीं थी, वह भी एम्स में सुरक्षित नहीं थे। यह कहकर उन्होंने सरकार और एम्स को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
उल्लेखनीय है, संथारा प्रथा में व्यक्ति स्वयं व्रत लेकर मृत्यु का वरण करता है। इस व्रत का पालन वह अंतिम समय तक करता है। इस प्रक्रिया को धार्मिक स्वरूप में संथारा कहा जाता है। इसमें धार्मिक आस्थाएं भी जुड़ी रहती हैं। संत गोपाल दास द्वारा संथारा साधना का ऐलान करने के बाद निश्चित रूप से देश और विदेशों में इसकी बड़ी प्रतिक्रिया होगी। विशेष रूप से हिंदुओं के बीच नाराजी फैलने की संभावना है।