सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों पर किए अवैध निर्माण को तुरंत ढ़हाने के निर्देश दिए

नई दिल्ली, सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए गहरी नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा ताकतवर खनन लॉबी ने अरावली पहाड़ियों पर पर्यावरण की दृष्टि से ऐसा नुकसान पहुंचाया है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। मौजूदा पीढ़ी के साथ ही आने वाली पीढ़ी को भी इसका खमियाजा भगुतना पड़ेगा।
शीर्ष कोर्ट ने फरीदाबाद के कांत एन्क्लेव इलाके में 18 अगस्त 1992 के बाद के तमाम कंस्ट्रक्शन को अवैध करार देते हुए उन्हें गिराने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा यह इलाका अरावली पहाड़ियों की वनभूमि में बना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रभावशाली बिल्डर ने अपनी कॉलोनी से हिल्स की आबोहवा को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया, जो दुर्भाग्यपूर्ण और परेशान करने वाली स्थिति है। इलाके में पानी की जबर्दस्त किल्लत हो गई है। बड़खल लेक सूख चुकी है और वह टूरिजम स्पॉट खत्म-सा हो गया है। कानून का मजाक उड़ाया गया है।
कांत एन्क्लेव में बिल्डर आर कांत एंड कंपनी ने प्लॉट देकर कंस्ट्रक्शन करवाया था। हरियाणा के वन विभाग ने 18 अगस्त 1992 को इस इलाके को फॉरेस्ट लैंड घोषित कर दिया था, जहां कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता था। कोर्ट ने माना कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की मिलीभगत से कंपनी ने फॉरेस्ट लैंड में प्लॉट बनाकर बेचे, जबकि इसी सरकार का फॉरेस्ट विभाग वहां कंस्ट्रक्शन का विरोध करता रहा। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 17 अप्रैल 1984 से लेकर 18 अगस्त 1992 के बीच के कंस्ट्रक्शन को नहीं तोड़ा जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कांत एन्क्लेव में जिन्हें प्लॉट बेचा गया है, उन्हें निवेश का पूरा पैसा 31 दिसंबर 2018 तक वापस किया जाए। साथ ही, निवेश की तारीख से भुगतान की तारीख तक मूलधन पर 18 फीसदी ब्याज भी दिया जाए। कोर्ट ने इलाके में हुए पर्यावरण के नुकसान की भरपाई के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी से पांच करोड़ रुपए अरावली पुनर्वास फंड में जमा कराने को कहा। इलाके में जो भी कंस्ट्रक्शन हुए हैं, उन्हें 31 दिसंबर 2018 तक गिराना होगा। जिनके कंस्ट्रक्शन टूटेंगे, उन्हें कंपनी और हरियाणा का टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट 50 लाख रुपए का भुगतान करेगा। यहां 40 परिवार रह रहे हैं।
दिल्ली में सीलिंग प्रक्रिया को देख रही मॉनीटरिंग कमेटी ने साफ किया है कि सील हटाने का फैसला लेने का अधिकार भी सिर्फ इसी कमिटी को है। राजधानी के तीनों एमसीडी में पिछले साल 15 दिसंबर से शुरू हुई सीलिंग में हजारों दुकानें सील की गईं हैं। इन दुकानों की सील खोलने की प्रक्रिया पर भ्रम की स्थिति थी। परेशान दुकानदार सील खुलवाने के लिए एमसीडी के साथ ही अलग-अलग अदालतों में अर्जी दे रहे हैं।

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