ग्वालियर,भितरवार थाने के टीआई रत्नेश यादव और सिपाही विवेक कौरव के खिलाफ न्यायालय ने डकैती और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यादव दो साल पहले जब डबरा सिटी टीआई थे, तब उन्होंने धोखाधड़ी के आरोप में बंद पिता से मिलने आए बेटे से उसका भविष्य खराब करने की धमकी देकर 50 हजार रुपए ले लिए थे। सिर्फ इतना ही नहीं, जब छात्र ने कहा कि उस पर रुपए नहीं हैं तो सिपाही को उसके साथ भेजकर एटीएम से रुपए निकलवाए थे। इसी मामले में 4 सितंबर को कोर्ट ने यह आदेश दिया है। जानकारी के अनुसार मकोड़ा निवासी सत्येंद्र सिंह सिकरवार के खिलाफ सिटी थाने में फर्जी दस्तावेज तैयार करने के चलते धोखाधड़ी का मामला दर्ज था। इस मामले में उसने 16 जून 2016 को कोर्ट में सरेंडर किया था। कोर्ट में सरेंडर करने के बाद वह सिटी थाने में बंद था, उसी दौरान उसका बेटा गोविंद राजपूत उससे मिलने आया था। उस समय सिटी थाने में टीआई रत्नेश यादव पदस्थ थे। मिलने आने के दौरान टीआई रत्नेश यादव ने गोविंद से 50 हजार रुपए ले लिए थे।
जब गोविंद राजपूत पिता से मिलने आया तो टीआई ने उसे लॉकअप में बंद कर दिया और भविष्य खराब करने की धमकी देकर 50 हजार रुपए की मांग की। गोविंद के पास सिर्फ 20 हजार रुपए थे। शेष रुपए के लिए टीआई ने उसके पिताजी का एटीएम कार्ड देकर आरक्षक विवेक कौरव के साथ थाने के सामने स्थित एचडीएफसी बैंक के एटीएम पर भेजा। एटीएम से रुपए निकालने के बाद टीआई ने 50 हजार रुपए लेकर उसे जाने दिया।
जब सत्येंद्र की जमानत हो गई तो गोविंद ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से की थी। इसके चलते तत्कालीन एसडीओपी सुधीर सिंह कुशवाह ने इस मामले की जांच कर टीआई रत्नेश यादव और आरक्षक विवेक को दोषी माना था। जांच के बाद कार्रवाई के लिए गोविंद ने न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया था। इस मामले में जज रूपेश शर्मा ने 4 सितंबर को सबूत और गोविंद राजपूत, सत्येंद्र सिकरवार और तत्कालीन एसडीओपी सुधीर सिंह कुशवाह की गवाही पर टीआई रत्नेश और आरक्षक विवेक कौरव के खिलाफ धारा 392, 11ध्13 डकैती अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।