नजूल नवीनीकरण के नाम पर बंट रहे अनाप-शनाप नोटिस

जबलपुर,राज्य सरकार का खजाना खाली हो गया है। चौतरफ राजस्व वसूली अभियान को तेज कर दिया गया है। टेक्स सरलीकरण के नाम पर जनता को बरगलाया जा रहा है। टेक्स वसूली के नाम पर अनाप-शनाप नोटिस बांटे जा रहे हैं। कहने को राज्य सरकार ने नजूल नवीनीकरण प्रक्रिया को सरल व सस्ता कर दिया है लेकिन धरातल पर उसका क्रियान्वयन भयाक्रांत माहौल में किया जा रहा है। आरआई, पटवारी, तहसीलदार से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के कर्मचारियों की टीम अपने-अपने नजूल बल्क में वसूली के लिये निकल पड़ी है। जिनका टेक्स जमा है , दस्तावेज ओके हैं उन्हें भी नोटिस थमाया जा रहा हैै, आखिर क्यों ये..? ये समझ से परे है। गलतियां सरकारों की है और खामियाजा आम जनता भुगत रही है। चुुनाव वर्ष में इस तरह की कार्यवाही सत्तारूढ़ दल के लिये नुकसानदायक साबित हो सकती है। न केवल जिला प्रशासन का राजस्व विभाग बल्कि अन्य शासकीय व अर्धशासकीय ऐजेंसियां वसूली अभियान में जुट गर्इं हैं। यहां गौरतलब है कि वर्ष १९९९ में सभी नजूल पट्टों की अवधि समाप्त हो गई। तत्कालीन राज्य सरकार ने उस वक्त इतने कठिन नियम कानून बना दिये थे कि उससे ज्यादा प्री-ब्याजी, भूभाटक, पेनाल्टी सब मिलाकर इतनी राशि हो गई थी कि जितने की प्रॉपर्टी नहीं थी उससे कहीं ज्यादा वसूली की राशि थी। लिहाजा लोगों ने पट्टों का नवीनीकरण नहीं कराया। अभी हाल ही में दो माह पहले राज्य सरकार ने नजूल पट्टा नवीनीकरण के नियमों में कुछ बदलाव कर यह दावा किया किया पहले से सरलीकरण कर दिया गया है और पेनाल्टी की अधिकतम सीमा सिर्पâ टेक्स मूल्यांकन से छः गुना होगी। वहीं कुछ व्यवसायों को भी कमर्शियल श्रेणी से भी बाहर कर दिया गया। इसके बाद नजूल नवीनीकरण करने के लिये निर्देश जारी हो गये। राजस्व बढ़ने के चक्कर में सरकार ने अनन-फनन में नियम बदले और राजस्व अमले को सक्रिय कर दिया लेकिन सरकारी अमला तो सरकारी अमला है, निकल पड़ा वसूली करने। धड़ा-धड़ नोटिस बांटे जा रहे हैं और तहसीली कोर्ट में हाजिर होने समन दिये जा रहे हैं। मौके पर अपडेट दस्तावेज प्रस्तुत करने के बाद भी नोटिस थमाये जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि आपको जो कहना है तहसीलदार कोर्ट में ही कहें, इससे जनता में भय का माहौल है। मजे की बात तो यह है कि नजूल का नवीनीकरण जमीन का होता है लेकिन नोटिस कॉमन रास्तों, मकान की सीढ़ियों और छज्जा का अलग से दिया जा रहा है। क्या जमीन के अलग-अलग पार्ट का नवीनीकरण होता है यह एक अहम सवाल है। वर्ष १९९९ से लेकर २०१८ के बीच कितनी पेनाल्टी लगेगी यह सरकार ने तय किया है लेकिन राजस्व अमला अपने हिसाब से तय कर रहा है। लोगों को बदले हुये नियमों की जानकारी नहीं है। अनाप-शनाप राशि का नोटिस देकर बाद में सेटिंग कर टेक्स कम किया जा रहा है। जबकि लगना उतना ही है लेकिन पब्लिक को बेववूâफ बनाने का काम किया जा रहा है। गोहलपुर, कोतवाली डिवीजन में सर्वाधिक ऐसे मामलों की शिकायतें आ रहीं हैं।

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