मीठे फल डायबीटीज मरीजों को ज्यादा नहीं खाना चाहिए

नई दिल्ली,डायबीटीज से पीडितों को लगता है कि चूंकि फल मीठे होते हैं, इसलिए उनमें चीनी की मात्रा तो निश्चित रूप से होती है लिहाजा उन्हें खाने से ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने का खतरा रहता है। तो ऐसे में क्या किया जाए? मानव शरीर जिस शुगर को ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल करता है वह ग्लूकोज है। आलू, चावल, दूध, रोटी सब पचकर खून में ग्लूकोज प्रदान करते हैं। भोजन में लिए गए खाद्य पदार्थ जठर तंत्र में पचाए जाते हैं और इसलिए खाने के फौरन बाद खून में ग्लूकोज का स्तर (शर्करा स्तर) बढ़ा हुआ मिलता है। सामान्य लोगों में यह स्तर कम बढ़ता है जबकि डायबीटीज के रोगियों में अधिक। इसी बात को आधार बनाकर भोजन के 2 घंटे बाद खून में शर्करा की जांच की जाती है। हम लोग जो दैनिक भोजन करते हैं उसमें कई अन्य प्रकार का शर्करा भी होता है। दूध में लैक्टोज होता है, फलों में फ्रक्टोज, रोटी व आलू में माल्टोज होता है। यह सच है कि अगर आप फल खाते हैं तो खून में तुरंत ग्लूकोज का स्तर उतना नहीं बढ़ता जितना मिठाई खाने पर बढ़ता है। हालांकि शरीर के भीतर खाए गए फ्रक्टोज यानी फलों से मिलने वाले शर्करा को ग्लूकोज में बदलने की भी प्रणाली है। इसलिए फलों का अत्यधिक सेवन (विशेष रूप से मीठे फलों का) डायबीटीज रोगियों को नहीं करना चाहिए। फ्रक्टोज के कई अन्य नुकसान भी हैं। यह शरीर में ट्राइग्लिसराइड नामक वसा का स्तर व मोटापा बढ़ाता है और इंसुलिन के प्रति मानव ऊतकों की संवेदनशीलता कम करता है। इंसुलिन का काम मानव कोशिकाओं के भीतर ग्लूकोज को प्रवेश दिलाना है ताकि उसका ऊर्जा बनाने में इस्तेमाल हो सके। अगर फ्रक्टोज की मात्रा ज्यादा ली गई है तो वह इंसुलिन के कारण कोशिकाओं में प्रवेश पाने वाले ग्लूकोज को रोकेगा और इससे खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाएगा। हालांकि फल केवल फ्रक्टोज नहीं होते, उनमें फाइबर, विटमिन और कई दूसरे मिनरल्स भी होते हैं।

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