न्यूयॉर्क,शोधकर्ताओं का कहना है कि खून को पतला करने वाली कुछ दवाइयों से किडनी की पुरानी बीमारी (सीकेडी) के मरीजों में रक्तस्राव का खतरा ज्यादा होता है। ऐसी दवा अक्सर दिल के रोगियों को दी जाती है। अमेरिका के मैरीलैंड में जॉन हॉकिन्स विश्वविद्यालय के जुंग-इम शिन ने कहा कि सीकेडी में प्रत्यक्ष रूप से खून का थक्का जमने को धीमी करने वाली दवाइयों की सुरक्षा और प्रभावशीलता के कम साक्ष्यों के बावजूद हम देखते हैं कि सीकेडी वाले मरीजों में सीधे तौर पर ओरल एंटीकोगुल्टेंट का नुस्खा दिया जाना काफी समय से बढ़ा है। शिन ने कहा कि हमने यह भी पाया कि सीधे तौर पर ओरल एंटीकोग्युलेंट का इस्तेमाल सीकेडी के रोगियों में वारफेरिन (पानी में घोल कर) इस्तेमाल की तुलना में ज्यादा रक्तस्राव से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सीधे तौर पर ओरल एंटीकोग्यूलेंट्स (रक्त का थक्का रोकने वाली) दवाओं को गुर्दे द्वारा अलग-अलग डिग्रियों पर साफ किया जाता है। इन्हें सीकेडी वाले व्यक्तियों में निकाले जाने की प्रक्रिया धीमी होती है। सीकेडी मरीजों में दवा के संचय होने की प्रवृत्ति पहले से होती है और इनमें रक्तस्राव होने का खतरा ज्यादा होता है।