96 इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक भी छात्र ने नहीं लिया एडमिशन

भोपाल, मध्य प्रदेश के शासकीय और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की इस साल बड़ी दयनीय हालत है। प्रथम राउंड की काउंसलिंग में केवल 5807 छात्रों ने शासकीय एवं निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लिया है 96 इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है। छात्र छात्राओं का इंजीनियरिंग की शिक्षा से मोह अब पूरी तरह खत्म हो चला है। इंजीनियरिंग कर चुके लोगों को 2 लाख वार्षिक का भी पैकेज नहीं मिल पाने के कारण इस साल इंजीनियरिंग के प्रवेश नहीं हो पा रहे हैं।
कुल 15634 छात्रों ने किया ऑनलाइन आवेदन
मध्य प्रदेश के 15 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और 160 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में 61000 सीटें स्वीकृत हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रथम चरण की जो काउंसलिंग के लिए आवेदन मंगाए थे। उसमें 15634 छात्रों ने आवेदन किए थे। किंतु इसमें प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राओं की संख्या मात्र 5807 प्रथम राउंड में रही है। इसमें शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में 1368 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है वही निजी कॉलेजों में 4100 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश प्राप्त किया है
प्रथम चरण की काउंसलिंग में कंप्यूटर साइंस में सबसे ज्यादा 1840 प्रवेश हुए हैं। उसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए 816 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है सिविल ब्रांच में 653 इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच में 614 आईटी ब्राँच में 279 और इलेक्ट्रिकल में 273 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है। इंजीनियरिंग की तीन ब्रांच ऐसी भी हैं। जिसमें एक भी एडमिशन नहीं हुआ है।
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज भी खाली
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6200 सीटें हैं। इसमें प्रथम चरण में मात्र 1368 एडमिशन हुए हैं। 20 जुलाई को दूसरी बार अपग्रेडेशन का काम होगा। इसमें और कितने प्रवेश होते हैं, या कितने लोग अपनी पसंद को बदलते हैं। यह 20 जुलाई को पता लगेगा। वर्तमान स्थिति में इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश अब आसान हो गया है
बड़ी संख्या में बंद होंगे इंजीनियरिंग कॉलेज
पिछले 5 वर्षों से इंजीनियरिंग कॉलेजों में इंजीनियरिंग की सीटें घटती चली आ रही हैं। हर साल छात्र कम होते जा रहे हैं। 96 इंजीनियरिंग कॉलेजों में किसी भी ब्रांच में एक भी प्रवेश नहीं होने के कारण इंजीनियरिंग कॉलेज बंद करने के अलावा और कोई विकल्प उनके पास नहीं है। 2000 के बाद जिस तरीके से इंजीनियरिंग की मांग छात्र छात्राओं के बीच बढ़ी थी। वह अब समाप्त हो गई है। सही मायने में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज मैं जो स्वीकृत सीट है। उनके अलावा निजी इंजीनिरिंग कॉलेजों की जरूरत भी नहीं रह गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *