MP जेपी सहित 20 अस्पतालों में बनेंगे माड्यूलर ओटी, संक्रमण का खतरा हो जाएगा काफी कम 

भोपाल,शहर के जेपी जिला अस्पताल में माड्यूलर ऑपरेशन थियेटर (ओटी)बनाया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश के 20 जिला अस्पतालों में माड्यूलर ऑपरेशन थियेटर (ओटी)बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में 300 बिस्तर से ज्यादा वाले जिला अस्पतालों में ओटी बनाए जाएंगे । इस तरह की ओटी बनने से मरीजों में संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाएगा। इसके अलावा ऑपरेशन थियेटर बढ़ने से मरीजों को सर्जरी के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ओटी बनाने के लिए अक्टूबर के पहले टेंडर जारी हो जाएंगे। माड्यूलर ओटी बनने से जिला अस्पतालों में बड़ी सर्जरी भी हो सकेंगी। साधारण ओटी में बड़ी सर्जरी से संक्रमण को जोखिम रहता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अफसरों ने बताया कि 20 जिलों में माड्यूलर ओटी बनाए जाने हैं। इनमें 10 जिलों के लिए राशि ट्राइबल विभाग से मिल रही है। 10 जिलों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से ओटी बनाए जाएंगे। इन अस्पतालों में कुछ जगह दो और जगह तीन ऑपरेशन थियेटर बनाए जा रहे हैं। इसके लिए जगह चिन्हित कर ली गई है। मालूम हो कि जेपी अस्पताल में अभी तीन ओटी है। मुख्य ओटी माड्यूलर है। नाक, कान एवं गला विभाग व गायनी विभाग के साधारण ओटी हैं। माड्यूलर ओटी में वह सब व्यवस्थाएं नहीं हैं जो आधुनिक माड्यूलर ओटी में होनी चाहिए।ओटी में पहुंचने के पहले तीन जोन होते हैं, पर ऐसा नहीं है। कायाकल्प अवार्ड के लिए एनएचएम की टीम ने पिछले साल जेपी अस्पताल के ओटी का निरीक्षण किया तो ओटी टेबल पर धूल मिली थी। फर्श को कीटाणु रहित करने के लिए सही केमिकल का उपयोग नहीं किया जा रहा था। प्रदेश के 13 जिलों में सुपर स्पेशलिटी सर्जरी के लिए चुना गया है। इसमें जेपी अस्पताल भी है। इस अस्पताल के अलावा, मेडिकल कॉलेज या निजी डॉक्टरों से सुपर स्पेशलिटी सर्जरी के लिए अनुबंध किया जाएगा। यहां गाल ब्लेडर, बच्चेदानी निकालने, पथरी की दूरबीन तकनीक से सर्जरी की जाएगी। इस तरह की सर्जरी माड्यूलर ओटी में होने से मरीजों को किसी तरह के संक्रमण का डर नहीं रहेगा। दूसरा फायदा यह कि मुख्य ओटी में बैक्टीरिया या फंगस मिलने पर दो दिन के लिए बंद करना पड़ता है। इस दौरान ऑपरेशन टालना पड़ता है। अब दो और ओटी बढ़ने से यह दिक्कत खत्म हो जाएगी। ओटी में हेपा फिल्टर लगा होता है जो बैक्टीरिया व वायरस को फिल्टर कर देता है। वे अंदर नहीं आ पाते, जिससे संक्रमण का डर नहीं रहता। ओटी का प्रोटोकाल होता है। ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) कंट्रोल रहती है। ऐसा इसलिए की नमी का स्तर मापदंड से कम ज्यादा होने पर बैक्टीरिया पनपने का डर रहता है। ओटी में हर घंटे में 15-20 बार एयर चैंजेज होते हैं। एयर हैंडलिंग यूनिट लगे होते हैं जो एयर को मापदंड के अनुसार रखते हैं।

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