निर्भया केस में दंरिदों की फांसी बरकरार, रिव्यू पिटिशन खारिज

नई दिल्ली, देश को दहला देने वाले निर्भया गैंगरेप और मर्डर के बहुचर्चित मामले में दोषियों की रिव्यू पिटिशन को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को पवन, विनय और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। चौथे दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटिशन और फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प ही बचता है। सुनवाई के दौरान सोमवार को निर्भया का परिवार भी कोर्ट में मौजूद था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि रिव्यू के लिए कोई ग्राउंड नहीं है, जो पॉइंट्स उठाए गए हैं उसमें कोई नया ग्राउंड नहीं दिखता है। आखिरकार कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया।
आपको बता दें कि इस केस में सरकारी वकील ने दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों की रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के बाद 4 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने दोषियों की अर्जी पर फैसला सुनाया।
उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर, 2012 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में छह लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके बाद पीडि़ता और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था।
जब फांसी मिलेगी तभी बेटी को न्याय मिलेगा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले निर्भया के माता-पिता ने बताया कि निर्भया देश की बेटी थी। हम चाहते हैं कि मेरी बेटी के साथ जघन्य हरकत करने वालों को ऐसी सजा मिले जो सबके लिए मिसाल बने। हमें फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। चारों दोषियों को जब फांसी की सजा मिलेगी, तभी हमारी बेटी को न्याय मिल सकेगा। सोमवार को फैसला आने के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि आज भी बेटियों के साथ अपराध हो रहे हैं। ऐसे में जल्द से जल्द इन दोषियों को फांसी दी जाए, जिससे समाज में संदेश जाए और ऐसी हरकत करने वाले डरें।
एक साल पहले सुनाई गई थी फांसी
सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2017 को निर्भया केस में चारों दोषी मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा था कि पीडि़ता ने अंतिम समय में जो बयान दिया, वह बेहद अहम और पुख्ता साक्ष्य हैं। इस मामले ने देशभर के लोगों को झकझोर दिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद इन दोषियों ने एक-एक कर रिव्यू पिटिशन दाखिल की।
हमारा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि हमारा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। इंसाफ मिलने में देरी हो रही है। इससे समाज की अन्य पीडि़ताएं प्रभावित होती हैं। दोषियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाना चाहिए, ताकि निर्भया को न्याय मिल सके।
केंद्र सरकार प्रक्रिया को यथाशीघ्र पूरा करें
निर्भया के परिवार के वकील रोहन महाजन ने कहा कि यह हमारे लिए विजयी क्षण है। हम फैसले से संतुष्ट हैं। केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह आगे की प्रक्रिया को यथाशीघ्र पूरा करे, ताकि हमें इंसाफ जल्द से जल्द मिल सके।
6 साल में भी नहीं हो पाई फांसी
16 दिसंबर, 2012: दिल्ली के मुनीरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था।
18 दिसंबर, 2012: दिल्ली पुलिस ने चारों दोषियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार किया।
21 दिसंबर, 2012: पुलिस ने एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे दोषी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया।
29 दिसंबर, 2012: पीडि़ता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हालत बिगडऩे पर सिंगापुर भेजा गया। इलाज के दौरान निर्भया की मौत।
3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क दोषियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाखिल की।
17 जनवरी, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों दोषियों पर आरोप तय किए।
11 मार्च 2013: तिहाड़ जेल में सबसे बुजुर्ग आरोपी राम सिंह ने खुदकुशी कर ली।
31 अक्टूबर, 2013: जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग दोषी को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया। उसको तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया।
10 सितंबर, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार आरोपियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को दोषी ठहराया।
13 सितंबर, 2013: कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई।
13 मार्च, 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने को चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।
15 मार्च, 2014: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर लगाई रोक।
20 दिसंबर, 2015: नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया, जिसे लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन।
27 मार्च, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
5 मई, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को सदमे की सुनामी करार दिया।
9 नवंबर, 2017: एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की।

 

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