चंडीगढ़,हरियाणा ने मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों पर नजरें टेढ़ी कर ली हैं। अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को मेडिकल का कोई भी पाठ्यक्रम बीच में छोड़ना महंगा पड़ेगा। एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र अगर बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं, तो उन्हें 5 लाख रुपए देने पड़ेंगे। इसी प्रकार, परास्नातक छात्र को साढ़े सात लाख रुपये तक संस्थान को देने पड़ सकते हैं।
इसके साथ ही वह तीन साल तक किसी अन्य संस्थान में मेडिकल के किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं ले पाएगा। हरियाणा सरकार ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2018-19 से सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी मेडिकल तथा दंत शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए एक नई नीति को पिछले हफ्ते अधिसूचित किया है। चिकित्सा शिक्षा और शोध विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि परास्नातक का कोई छात्र पाठ्यक्रम को बीच में छोड़ता है, तो वह अगले तीन साल तक किसी अन्य संस्थान में दाखिला नहीं ले सकेगा। मेडिकल संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्रों को अब से एक बॉन्ड देकर कहना होगा कि वे अपना पाठ्यक्रम पूरा करेंगे। प्रवक्ता ने बताया कि एमबीबीएस या बीडीएस की पढ़ाई कर रहा कोई छात्र अगर पाठ्यक्रम पूरा होने से पहले पाठ्यक्रम छोड़ देते हैं उसे पांच लाख रुपये देने होंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि संस्थानों के पास बकाएदारों से यह पैसा वसूलने का अधिकार होगा। यह नियम प्रबंधन कोटे से दाखिला लेने वाले छात्रों पर भी लागू होगा। राज्य में बॉन्ड लेने का कदम पहली बार अनिवार्य किया गया है। अक्सर देखा जाता है कि छात्रों को अन्य राज्यों में या विदेश में दाखिला मिल जाता है तो राज्य के संस्थानों में सीटें खाली रह जाती हैं। राज्य सरकार के इस कदम को मेडिकल संस्थानों के हितों की रक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।