नई दिल्ली,मधुमेह रोगियों को अब जख्मों की तकलीफ से सालों-साल नहीं जूझना पड़ेगा। उनके घाव अब सिर्फ 20 दिन में ही ठीक हो जाएंगे। भारतीय वैज्ञानिकों ने कई वर्षों की लंबी मेहनत के बाद रोगियों को इस तकलीफ से निजात दिलाने के लिए एक सस्ती और नई ड्रेसिंग सामग्री विकसित की है। इसको कम ग्राफीन ऑक्साइड से भरे नैनो कोमोसाइट स्काफोल्ड नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह दुनिया में अपनी तरह की पहली और अद्भुत ड्रेसिंग सामग्री है। आईआईटी मद्रास के बायो-टेक्नॉलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने यह ड्रेसिंग सामग्री तैयार की है। हाल ही में जानवरों पर किए गए परीक्षण में यह पूरी तरह से खरी उतरी है। इसे अब व्यावसायिक स्तर पर तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। कई हेल्थ केयर कंपनियों ने इसको लेकर रुचि दिखाई है। इस अनूठी ड्रेसिंग सामग्री को तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर तब काम शुरू किया गया था, जब देश में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। इसके साथ ही इन रोगियों के घावों को भरने के लिए बाजार में सर्वसुलभ ड्रेसिंग सामग्री मौजूद नहीं थी। ऐसे में कई बार पीड़ितों के जख्म ठीक नहीं होने पर उनके अंगों को काटना पड़ जाता था। ऐसे में उस समस्या को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने काम शुरू किया। इस मुहिम को अंजाम देने वाली टीम के प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर विग्नेश मुथुविजयन के मुताबिक इस शोध में उन्हें बड़ी सफलता तब हाथ लगी, जब वह कम ग्राफिन ऑक्साइड को तैयार करने में कामयाब हुए। इसके बाद नैनो फोल्ड (छोटी पट्टी) तैयार करके परीक्षण शुरू किया गया। पहले इसे पौधों पर आजमाया गया। इस दौरान उनकी कोशिकाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को करीब से देखा गया। अगले चरण में इसे जानवरों पर आजमाया गया। परीक्षण के सभी चरणों में इसके अद्भुत परिणाम सामने आए। उनका दावा है कि इस ड्रेसिंग की मदद से बड़े से बड़े सामान्य घाव 16 दिन में और मधुमेह से जुड़े घाव 20 दिन में ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा यह बाजार में मौजूद बाकी ड्रेसिंग सामग्री की तुलना में काफी सस्ती भी है। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले भारत में मौजूदा समय में करीब सात करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। 2033 तक इसकी संख्या आठ करोड़ से ज्यादा पहुंचने की आशंका है।