छिंदवाड़ा,जिले के गांवों की परिवहन व्यवस्था जान जोखिम में डालने वाली है। शहर से दूर गांवों के मार्गों पर वाहन मालिक यात्री और लगेज के लिए कंडम वाहन दौड़ा रहे है। गांवों तक ना परिवहन विभाग की पहुंच है ना ही पुलिस की ऐसे में वाहन मालिकों की चांदी है। ग्रामीण जान जोखिम में रखकर कंडम टैक्सियों, जीप और बस में सफर कर रहे हैं।
गांवों की सड़कों पर दौड़ रहे आधे से ज्यादा वाहन कंडम हो चुके हैं। जिसकी जानकारी भी संबंधित विभाग को हैं। लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। युवा शैलेंश कस्तूरे का कहना है कि कंडम हो चुके वाहनों पर विभाग को कार्यवाही कर इन्हें बंद करना चाहिए। नहीं तो कोई भी बड़ा हादसा इन वाहनों की वजह से हो सकता है। गांव के लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे है।
वाहनों में कैरोसीन का उपयोग
शहर में ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जाने वाले अधिकतर वाहन केरोसिन से चलते हैं। शहर में और गांवों में ग्रामीणों को उपयोग के लिए केरोसिन उपलब्ध नहीं हो रहा है लेकिन इन वाहन चालकों को वाहनों में डालने के लिए आसानी से केरोसिन उपलब्ध हो रहा है। केरोसिन से चल रहे वाहनों पर भी खाद्य विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं हुई है। जिससे ग्रामीणों में रोष बना हुआ है।