एसबीआई ने भी माना, कैशलेस की मुहिम फेल होने से पैदा हुआ नकदी संकट

नई दिल्ली,केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक लगातार कह रहै हैं कि देश में कैश की कोई कमी नहीं है। एटीएम से कैश गायब होने के लिए तकनीकी वजहों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। लेक‍िन एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट इन दावों की पोल खोलती है। रिपोर्ट के मुता‍बिक देश में जितनी कैश की आवक होनी चाहिए थी, उतनी नहीं हुई है। इसमें 70 हजार करोड़ की कमी है। एसबीआई ने कहा है कि कैशलेस लेनदेन घटने की वजह से यह स्थ‍िति पैदा हुई है। एसबीआई का यह आंकड़ा सरकार के आंकड़े से काफी अलग है। केंद्र सरकार ने कैश की किल्लत की वजहों को गिनाते हुए कहा था कि इकोनॉमी में सिर्फ 25 हजार करोड़ रुपए की नगदी की कमी है। लेकिन एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देशभर के एटीएम में हर महीने औसतन 2.10 लाख करोड़ रुपए निकाले जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश की कमी कई चीजों पर निर्भर करती है। इसे तय करने के लिए यह भी देखा जाता है कि देश का नॉमिनल इकोनॉमिक ग्रोथ क्या है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है क‍ि लोगों के पास कितना कैश है और देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन कितना बढ़ा है। एसबीआई ने कहा है कि देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन घटा है। देश में 1.2 खरब डिजिटल लेनदेन हुए। रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में एटीएम से डेबिट कार्ड के जरिए 15,291,00 करोड़ रुपए निकाले गए। यह पिछले छह महीनों के मुकाबले 12.2 फीसदी ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 9.8 फीसदी तक रहा है, तो सर्कुलेशन में मार्च 2018 तक करंसी की मौजूदगी 19.4 खरब होनी चाहिए थी। हालांकि असल में यह 17.5 खरब रुपए थी। एसबीआई ने इसके साथ ही कहा है कि 1.9 खरब रुपए की कमी को कमी नहीं कहा जा सकता है। एसबीआई ने कहा कि मौजूदा समय में जो कैश की किल्लत महससू हो रही है, उसके लिए 200 रुपए के नोटों की छपाई में देरी जिम्मेदार हो सकती है। इसकी वजह से छोटे नोटों की मांग में बदलाव हुआ होगा और बड़े नोटों की जरूरत को पूरा करने के लिए इनका यूज बढ़ा होगा। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि एटीएम को समय-समय पर रिफ‍िल करना होता है। इस वजह से भी कैश की किल्लत थोड़ी बढ़ने का अनुमान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *