मऊ में घर में बंद कर गैंगरेप, मुकदमा, मुख्य आरोपी भेजा गया जेल

मऊ,अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने में पुलिस महकमा पूरी तरह से बेबस साबित हो रहा है। पहले तो अपराध को महकमा दबाने की कोशिश कर रहा है फिर नही दबने की स्थिति में विवेचना के दौरान आरोपों से खेल खेल रहा है। एसपी ललित कुमार सिंह के हस्तक्षेप के बाद घटना के 43 दिन बाद गैंग रेप का मुकदमा दर्ज होना और पीड़िता का बयान नही दर्ज करवाना जिले की पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शहर के एक मुहल्ले की रहने वाली एक महिला के साथ दो मार्च को चार लोगों ने एक कमरे में सामूहिक दुष्कर्म किया। काफी जद्दोजहद के बाद एसपी के हस्तक्षेप पर पुलिस ने 43 दिन बाद 14 अप्रैल को मामले में रिपोर्ट दर्ज तो किया लेकिन डाक्टरी परीक्षण कराने के बाद पुलिस अब पीड़िता का बयान दर्ज कराने के लिए थाने बुला तो रही है लेकिन उसे उसे अदालत तक नहीं ले जा रही। महिला का आरोप है कि एक दरोगा उस पर बयान में आरोपियों के नाम न लेने का दबाव बना रहा है। दर्ज मुकदमे के अनुसार 10 वर्ष पूर्व जब वह नाबालिग थी तो रघुनाथपुरा मुहल्ला निवासी कासिम उसे शादी का झांसा देकर भगा ले गया और उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। इससे वह तीन बार गर्भवती हुई। तीनों बार उसने जबरन गर्भपात करा दिया। युवती का आरोप है कि कासिम उससे शहर के साड़ी कारोबारियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाता रहा। जिसका वह विरोध करती रही। दो मार्च को वह उसे घुमाने के बहाने मखनवा गांव निवासी अपने दोस्त राजू कराटे के घर लेकर पहुंचा, वहां पहले से मौजूद मलिक ताहिरपुरा मुहल्ला निवासी शाहिद जमाल, मुंशीपुरा मुहल्ला वकील के साथ एक अज्ञात युवकों ने मिलकर उसके साथ सामूहिक रुप से दुष्कर्म किया। इससे युवती की हालत बिगड़ गई। 23 मार्च को उसे नगर के ही एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन दिन बाद उसे डिस्चार्ज किया गया। युवती ने इस बाबत पुलिस को तहरीर दी लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। कई दिनों तक दौड़ लगाने के बाद 13 अप्रैल को महिला ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर गुहार लगाई। एसपी के आदेश पर पुलिस ने चारों आरोपियों पर 14 अप्रैल को मुकदमा दर्ज कर लिया। महिला का मेडिकल कराया गया लेकिन बयान दर्ज कराने के लिए अदालत नही ले जाया जा रहा है। महिला का आरोप है कि पुलिस उस पर बयान दर्ज न कराने का दबाव बना रही है।

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