मक्का मस्जिद केस,असीमानंद सहित पांच बरी

नई दिल्ली,हैदराबाद स्थित एनआईए की विशेष अदालत ने मक्का मस्जिद विस्फोट केस में सोमवार को स्वामी असीमानंद को बरी कर दिया है। 18 मई 2007 को हुए इस धमाके में करीब 9 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे। 11 साल में इस मामले में कई गवाह बयान से पलटे, जिसके कारण आज का यह फैसला आया।
उसे अजमेर धमाके में पहले ही क्लीनचिट मिल चुकी है। वनस्पति विज्ञान में स्नातक असीमानंद पश्चिम बंगाल के हुगली का निवासी है। जतिन चटर्जी उर्फ नबाकुमार सरकार उर्फ स्वामी ओंकारनाथ उर्फ स्वामी असीमानंद उसके जितने नाम हैं, आतंक फैलाने के उतने ही आरोप उस पर लग चुके हैं।
मप्र में भी रहा है सक्रिय
पुलिस का दावा है कि 2006 में मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के लिए किए गए विस्फोटों से ठीक पहले असीमानंद ने इसी शबरी धाम में कुंभ का आयोजन किया। इस दौरान विस्फोट में शामिल करीब 10 लोग इसी आश्रम में रहे। असीमानंद बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में भी सक्रिय रहा। सीबीआई का दावा है कि स्वामी हरिद्वार में अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था और उसने फर्जी परिचय पत्र भी हासिल किया था। सीबीआई स्वामी के पास से कोलकाता से जारी हुआ पासपोर्ट, कई फर्जी राशन कार्ड और हरिद्वार प्रशासन द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र भी जब्त करने का दावा करती रही है। स्वामी की तलाश 2009 के बाद से शुरू हुई, जब सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी मिली कि आरोपी अपना भेष बदलता है। सीबीआई तथा एटीएस (महाराष्ट्र) ने वर्ष 2009-10 में मध्य प्रदेश और गुजरात के विभिन्न स्थानों की तलाशी ली थी।
मालेगांव मामले में पलटा था बयान
स्वामी का नाम मालेगांव विस्फोट की जांच के दौरान भी सामने आया था, जब महाराष्ट्र एटीएस को मामले की आरोपी साध्वी प्रज्ञा से स्वामी के वाहन चालक का नंबर मिला था। उसने 2011 में मजिस्ट्रेट को दिए इकबालिया बयान में स्वीकार किया था कि अजमेर दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और कई अन्य जगहों पर हुए बम ब्लास्ट में उसका हाथ है। हालांकि बाद में वह अपने बयान से पलट गया।
ओवैसी-कांग्रेस ने उठाए एनआईए पर सवाल
असीमानंद समेत सभी पांच आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी करने के फैसले के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने एनआईए को बहरा और अंधा तोता करार देते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने भी जांच एजेंसी पर ही सवाल उठाए। फैसले पर ट्वीट करते हुए ओवैसी ने कहा कि एनआईए ने मामले की सही पैरवी नहीं की। जून, 2014 के बाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस मामले के अधिकतर गवाह अपने बयान से पलट गए। एनआईए ने केस की पैरवी उम्मीद के मुताबिक नहीं की या फिर राजनीतिक मास्टर द्वारा उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया। आपराधिक मामले में जब तक ऐसी पक्षपाती चीजें होती रहेंगी, तब तक न्याय नहीं मिलेगा।
सुब्रमण्यम स्वामी बोले, चिदंबरम पर दर्ज हो केस
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इस मामले में चिदंबरम पर मामला दर्ज होना चाहिए, जिन्होंने हिंदू आतंक शब्द के जरिए हिंदुओं पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि इसके पीछे बड़ी साजिश थी। इस मामले में शामिल लोगों को सजा मिलनी चाहिए। हिंदू आतंक शब्द का प्रयोग कर वह संघ को निशाना बनाना चाहते थे और उसे बैन करना चाहते थे। बता दें कि पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने अगस्त, 2010 में पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन के दौरान कहा था कि देश के कई बम धमाकों के पीछे भगवा आतंकवाद का हाथ है। भगवा आतंक देश के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है।
सोनिया, राहुल देश से मांगे माफी : भाजपा
पांचों आरोपियों को बरी होने के बाद कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए भाजपा ने कहा कि कुछ वोटों के लिए कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से हिन्दू धर्म को बदनाम करने का काम किया था, उसके लिए आज सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी के चेहरे पर से मुखौटा उतर गया है। कांग्रेस पार्टी जिस प्रकार से हिन्दू आंतकवाद के नाम पर हिन्दू धर्म को बदनाम कर तुष्टिकरण की राजनीति करने का काम कर रही थी उसका आज पर्दाफाश हो गया है।
फैसला सुनाने के थोड़ी देर बाद जज रेड््डी का इस्तीफा
मामले पर फैसला सुनाने वाले एनआईए जज रविंद्र रेड्डी ने कुछ देर बाद ही इस्तीफा दे दिया। उनके इस इस्तीफे ने सभी को चौंका दिया है। वह इस्तीफा देने के बाद छुट्टी पर चले गए हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है। जज रेड्डी के अचानक इस्तीफे पर असदुद्दीन ओवैसी ने हैरानी जताते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि उनका इस्तीफा हैरान करने वाला है और संदेह भी पैदा करता है।
– 2007 में हैदराबाद में मक्का मस्जिद में विस्फोट हुआ
– इसी साल अजमेर दरगाह में विस्फोट हुआ और समझौता एक्सप्रेस में भी।
– 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में विस्फोट हुआ और इन इन सभी वारदातों में असीमानंद का नाम जुड़ा है।
– 1990 से 2007 के बीच असीमानंद आरएसएस से जुड़ी संस्था वनवासी कल्याण आश्रम का प्रांत प्रचारक रहा है।
– 1995 के आस-पास गुजरात के डांग पहुंचा और हिंदू संगठनों के साथ हिंदू धर्म जागरण के काम में लग गया।
– यहां असीमानंद ने शबरी का मंदिर बनाया और शबरी धाम की स्थापना की।

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