सफेद कपड़ों ने बचाई सोनाली और तब्बू की जान,पहचान नहीं पाया गवाह,सैफ की संलिप्तता साबित नहीं हो सकी

जोधपुर,काला हिरण शिकार मामले में बालीवुड स्टार सलमान खान को पांच साल की सजा सुनाई गई है। जबकि इसी मामले में सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे और तब्बू को बरी कर दिया गया है। सोनाली बेंद्रे और तब्बू के बरी होने का एकमात्र यही कारण रहा कि बीस साल पहले की इस घटना का वह एकमात्र चश्मदीद गवाह कोर्ट में उन्हें पहचान नहीं पाया। उसने सैफ अली खान के मौके पर होने की बात तो कही, लेकिन शिकार में सैफ की भूमिका स्पष्ट नहीं कर सका।
कोर्ट ने माना कि सैफ, तब्बू, नीलम या सोनाली के खिलाफ कोई गवाह या सबूत नहीं हैं। यह दलील बचाव पक्ष के वकील श्रीकांत शिवाडे ने दी थी कि इन चारों या पांचवें आरोपी दुष्यंत सिंह के शिकार में लिप्त होने की गवाही घटना के अकेले चश्मदीद और शिकायतकर्ता पूनमचंद बिश्नोई नहीं दे सके हैं। दरअसल, शिवाडे ने तब्बू और सोनाली को कोर्ट में अचानक पेश कर बिश्नोई से उन्हें पहचानने के लिए कहा। बिश्नोई उन्हें पहचान नहीं सके। जब कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि जब एफआईआर में उनके नाम हैं तो बिश्नोई पहचान क्यों नहीं पा रहे तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभिनेत्रियों के सफेद कपड़े पहनने के कारण पहचान करने में दिक्कत हो रही है। इससे बचाव पक्ष ने आरोपी लगाया कि गवाह अपने दावे से उलट मौके पर नहीं थे और 150 मीटर की दूरी से गाड़ी में बैठे लोगों को पहचान नहीं सकते थे।
अभिनेताओं की दलील थी कि एफआईआर फर्जी शिकायत पर दर्ज की गई है। सलमान के बचाव पक्ष ने दलील भी दी कि पहले शिकार और आर्म्स एक्ट केस में उन्हें राजस्थान हाई कोर्ट से बरी किया जा चुका है। हालांकि, जज ने यह दलील स्वीकार नहीं की। दूसरे पोस्टमॉर्टम और बिश्नोई की गवाही पर सलमान को दोषी करार दिया गया। इससे पहले शिवाडे ने यह दिखाने की कोशिश की गवाह पहली शूटिंग के समय 100 मीटर और दूसरी शूटिंग के दौरान 150 मीटर पर था। ऐसे में रात के अंधेरे और केवल मोटरसाइकल की हेडलाइट में किसी को पहचाना मुमकिन नहीं है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि उस रात भी चांद भी था। इस पर बचाव पक्ष ने पंचांग पेश करते हुए कहा कि शिकायत के हिसाब से शूटिंग रात को 2 बजे के बाद हुई और उस दिन चांद रात 1:30 बजे के बाद आसमान में नहीं था।

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