कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग,मनुष्य के हित में सहायक उपकरण की तरह हो

देहरादून,राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि विज्ञान का एकमात्र लक्ष्य मानव कल्याण होता है। सभ्यता के विकास के लिए ही तमाम वैज्ञानिक खोेजें व आविष्कार होते हैं। आने वाला समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का है। परंतु हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग मानव जाति के हित में केवल एक सहायक उपकरण के तौर पर ही किया जाए। राज्यपाल, ग्राफिक ऐरा हिल्स विश्वविद्यालय में ‘‘प्रिपेरेशन फाॅर द एज आॅफ फ्यूचर टेक्नोलोजी’’ विषय पर आयोजित सेमीनार को सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि विज्ञान के विकास के साथ ही सभ्यता का विकास हुआ। विज्ञान एक सतत प्रक्रिया है। टेलिग्राफ, टेलिफोन, रेडियो, टेलिविजन, मोबाईल, इंटरनेट आदि के उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने कहा कि समय-समय पर विभिन्न तकनीकें आईं और कालांतर में इनका प्रतिस्थापन अधिक विकसित तकनीकों द्वारा होता रहा है। विज्ञान कभी ठहरता नहीं है। मानव सभ्यता के विकास के लिए भी विज्ञान की निरंतर प्रगति जरूरी है।
राज्यपाल ने कहा कि आने वाला समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता का है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग अनेक क्षेत्रों में किया जाने लगा है। आज हमारे पास असीमित आंकड़े मौजूद हैं। बहुत से आंकड़े तो विरोधाभासी भी होते हैं। सुपर कम्प्यूटर ही इन्हें संसाधित कर सकता है। मौसम विभाग द्वारा सैंकडों परिवर्तनशील कारकों का विश्लेषण कर लगभग सटीक पूर्वानुमान किए जाने लगे हैं। सुपर कम्प्यूटर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग का एक उदाहरण है। विशाल आंकडों का प्रबंधन, इनमें सहसंबंध स्थापित करना, विवेचना करना और प्रवृत्ति का विश्लेषण करना सुपर कम्प्यूटर द्वारा ही सम्भव है। इसलिए सुपर कम्प्यूटर को कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बुनियाद कहा जा सकता है। साईबरनेटिक्स कृत्रिम बुद्धिमत्ता की ओर एक ओर कदम है। वास्तव में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका वहां शुरू हो जाती है जहां साईबरनेटिक्स की भूमिका समाप्त होती है। क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिस्टम या प्रक्रियाओं को स्वतंत्रतापूर्वक नियंत्रित व संचालित करने में सक्षम होती है। रोबोटिक्स का भी नया दौर शुरू हो रहा है। मेडिकल साईंस में इसका व्यापक उपयोग किया जा रहा है।

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