23 राज्य 5 वीं व 8 वीं में छात्रों को फेल नहीं करने की नीति में संशोधन के समर्थक

नई दिल्ली, देश के 23 राज्यों ने स्कूलों में पांचवीं और आठवीं कक्षा में छात्रों को अनुत्तीर्ण नहीं करने की नीति में संशोधन करने का समर्थन किया है। इनमें से आठ राज्यों ने इस नीति को पूरी तरह वापस लेने के पक्ष में राय जाहिर की है। यह बात स्कूलों में कक्षा पांच और आठवीं में छात्रों को अनुत्तीर्ण नहीं करने की नीति पर विचार के लिए 26 अक्टूबर 2015 को राजस्थान के शिक्षा मंत्री के नेतृत्व में गठित उप-समिति की रिपोर्ट में सामने आई है।
इस समिति ने 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून के तहत इस नीति से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार किया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 15 और 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में इस बारे में उप-समिति की स्थिति रिपोर्ट पर विचार किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, पांच राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और तेलंगाना ने आरटीई अधिनियम 2009 के तहत फेल नहीं करने की नीति को बनाए रखने की बात कही थी। जबकि बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश ने फेल नहीं करने की नीति को वापस लिए जाने पर जोर दिया।
हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, पुडुचेरी, दिल्ली, ओडिशा, त्रिपुरा, गुजरात, नगालैंड, मध्यप्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और दमन दीव ने इस नीति में संशोधन करने का सुझाव दिया। अंडमान निकोबार, असम, दादरा नगर हवेली, झारखंड, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय और तमिलनाडु ने इस विषय पर कोई राय नहीं दी। केब की बैठकों में इस विषय पर चर्चा की गई और इसके अनुरूप 6 से 14 वर्ष के बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के प्रावधानों में संशोधन करने का फैसला किया गया ताकि पांचवी और आठवीं कक्षा में नियमित परीक्षा आयोजित की जा सके।

 

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