शरीर के अंग अब 3 डी प्रिंटिंग से बनाने की कोशिश करेंगे वैज्ञानिक

लंदन,शोधकर्ताओं की एक टीम ने ऐसी 3डी प्रिंटिंग तकनीक खोजी है जिसकी मदद से शरीर के नकली अंग बनाए जा सकते हैं। इन अंगों के जरिए वैज्ञानिक खराब हो चुके टिशू को फिर से तैयार कर सकते हैं और साथ ही ये तमाम तरह के मेडिकल प्रयोग करने में भी बेहद मददगार साबित हो सकते है। वैज्ञानिकों का दावा है कि पहला शोध है जो बताता है कि कैसे शरीर के अंगों की रेप्लिका यानि नकल तैयार की जा सकती है। ये अंग बाहर से दिखने में इतने मुलायम नजर आते हैं मानो हकीकत में मस्तिष्क और फेफड़ों हों। शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का निर्माण किया है। शोधकर्ताओं की टीम में से एक झेंग्चु टैन ने कहा,फिलहाल हमने ये चीजें कुछ सेंटीमीटर की ही बनाई हैं,लेकिन हम इस तकनीक का उपयोग करके पूरे अंग की प्रतिकृति बनाना चाहते हैं। बता दें कि ये नई तकनीक क्रायोजेनिक्स (फ्रीज़िंग) और 3डी प्रिंटिंग तकनीकों को मिलाकर तैयार की गई है। एक अन्य शोधकर्ता ने बताया, ‘क्रायोजेनिक्स इस तकनीक का मुख्य पहलू है। इसमें तरल और ठोस पदार्थ के बीच होने वाले बदलावों की मदद से ऐसी सुपर सॉफ्ट चीजें बनती हैं जो अपने आकार को लंबे वक्त तक बरकरार रख सकती हैं। इसका मतलब यह है कि इस तकनीक को कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है।’ इसका मतलब ये है कि इन संरचनाओं का उपयोग चिकित्सा प्रक्रियाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है,जो टिशू जेनरेशन में मदद करता है,जिससे खराब हो चुके टिशू को फिर से तैयार किया जा सकता है।शोधकर्ताओं ने शरीर के अंगों सी दिखने वाली इन चीजों में स्किन के अंदर मौजूद फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएं डालीं। इसके बाद उन्होंने पाया कि उसमें ऐसे टिशू तैयार हो गए जो स्किन में कनेक्टिव टिशू का काम करते हैं।
पिछली सफलताओं के साथ यह सफलता बताती है कि इस तकनीक का इस्तेमाल कर स्टेम कोशिकाओं का विकास किया जा सकता है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं में बदलने की क्षमता होती है। इसके अलावा ये तकनीक शरीर कुछ खास अंगों या सभी अंगों को भी बनाने के लिए इस्तेमाल हो सकती है। अगर ऐसा हो पाया तो ये वैज्ञानिकों के लिए काफी मददगार होगा क्योंकि इससे वो सभी तरह के प्रयोग आसानी से कर पाएंगे जिसके लिए जिंदा अंगों की जरूरत होती है। इसके साथ ही तमाम तरह के मेडियल प्रयोग में जानवरों के इस्तेमाल में भी कमी आएगी।

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