2 किसानों ने की आत्महत्या, एक ने खुद को जलाया

भोपाल,मध्य प्रदेश में किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। फसलों की बर्बादी और कर्ज न चुका पाने की स्थिति में वे आत्महत्या कर रहे हैं। प्रदेश में दो आत्महत्या हुई वहीं, एक किसान ने फसल की कीमत सही न मिलने पर खुद को आग लगा ली। वहीं, कांग्रेस नेता कमलनाथ किसानों के पक्ष में उतर आए हैं और भावांतर योजना पर सरकार को घेरा है। उधर, नरसिंहपुर में गन्ना किसानों का आंदोलन तीव्र हो सकता है। गन्ना की सही कीमत न मिलने पर वे विरोध कर रहे है, मंगलवार को कलेक्टर ने किसानों व व्यापारियों के बीच सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे। इस बीच, संघ से जुड़ा भारतीय किसान संघ भी सरकार के विरोध में उतर गया है…
सूदखोर से परेशान किसान ने दी जान
दमोह जिले के पथरिया थाने के कांकर गांव के 55 साल के किसान रामा पटेल ने आत्महत्या कर ली। उसने कई सूदखोरों से कर्ज लिया था, लेकिन पिछले कई वर्षों से उसकी फसल खराब हो रही थी। वह दूध बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था, लेकिन उसे सूदखोरों ने धमकाना शुरू किया, तो उसने आत्महत्या कर ली। मंगलवार सुबह उसने कीटनाशक पी लिया। इसके बाद रामा को गंभीर हालत में दमोह चिकित्सालय लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। भूरिया के मुताबिक मृतक ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें कर्ज देने वालों द्वारा परेशान किए जाने की बात लिखी गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
गुना में फांसी में झूला किसान
गुना जिले के उकामद कलां गांव के 32 वर्षीय किसान सुमेर सिंह ने सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों का कहना है कि सुमेर ने कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदा था, मगर वह किस्त नहीं चुका पा रहा था। तनाव में आकर उसने आत्महत्या की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस घटना में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

सही दाम नहीं मिला, खुद को फूंका
नीमच में कृषि उपज मंडी में एक किसान ने अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलने से आहत होकर उपज में आग लगा दी। बताया जा रहा है नीमच औषधि चिरायता मंडी में किसान सुरेश धाकड़ गांव धमनार जिला मंदसौर ने तुलसी के डंठल में खुद लगा दी आग। सुबह व्यापारी ने 490 रु. प्रति क्विंटल से बोली लगाई थी किंतु दूसरे बोली में 400 रुपये क्विंटल की बोली ही लगाई। इसके बाद किसान ने काफी कोशिश की कि उसे उपज के उचित दाम मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जिससे किसान आहात हुआ और नाराज होकर गुस्से में खुद ही अपनी उपज में आग लगा दी। नीलामी से असंंतुष्ट किसानों ने मंडी में जमकर हंगामा भी किया।
भावांतर से भड़क रहे किसान
फसलों का सही दाम न मिलने से प्रदेश अलग-अलग जिलों में भी हंगामे के हालात बन रहे हैं। भावांतर और व्यापरियों के बीच किसानों को कुछ सूझ नहीं रहा है। भावांतर के माध्यम से सरकार जहां भाव का अंतर देने जा रही है लेकिन व्यापारियों द्वारा फसलों का दाम गिरा देने से किसान भड़क रहे हैं। जो कि सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है।
रजिस्ट्रेशन न कराने वालों को भी मिलेगा लाभ : बिसेन
कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने किसानों के लिए चालू की गई भावांतर भुगतान योजना को लेकर बड़ा बयान दिया है। मंत्री बिसेन ने कहा कि अब उन किसानों को भी भावांतर का लाभ मिलेगा जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, लेकिन मंडियों में उनकी उपस्थिति है।
भावांतर में फर्जीवाड़े की तैयारी तो नहीं..?
सरकार ने भावांतर योजना का लाभ लेने के लिए एक और मौका दिया है। जो किसान योजना में शामिल नहीं हुए थे, वे 15 से 22 नवंबर तक ऑनलाइन पंजीयन करा सकते हैं। इस पर कांग्रेस सांसद कमलनाथ ने ट्वीट किया- भावांतर योजना में पंजीयन से लेकर,16-31अक्टूबर तक फसल बेचने वाले किसानों की संख्या,भुगतान की कुल राशि, कुल खरीदी फसल के आंकड़े नित -प्रतिदिन नये सामने आ रहे है, कही प्याज व दाल खरीदी की तरह इन बदलते आँकड़ो से फजऱ्ीवाडे की तैयारी तो नहीं..सरकार वास्तविक आंकड़े जिलेवार जारी करे।
17 को किसान संघ का संसद मार्च
भाजपा का पितृ संगठन आरएसएस से जुड़ा मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ यानी बीएमएस सड़कों पर उतर रहा है। 17 नवंबर को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां गऱीब विरोधी, श्रमिक विरोधी और कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हज़ारों कार्यकर्ता सड़क पर उतरेंगे और संसद तक मार्च करेंगे। बीएमएस का दावा है कि पांच लाख बीएमएस कार्यकर्ता दिल्ली की सड़कों पर होंगे। बीएमएस ने इसे श्रमिक महारैली का नाम दिया है। पिछले गुरुवार को ही दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के हज़ारों कार्यकर्ता मोदी सरकार की आर्थिक और श्रम सुधार नीतियों का विरोध कर चुके हैं।

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