भोपाल, मध्यप्रदेश में मंत्री और अन्य भाजपा जनप्रतिनिधि किसानों से सीधे संवाद से बच रहे हैं, तो दूसरी ओर किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उपवास खत्म करने का आग्रह कर रहे हैं। माना जा रहा है कि किसान असंतोष पूरी तरह खत्म होने तक शिवराज सिंह चौहान अपना उपवास खत्म नहीं करेंगे।
मध्यप्रदेश में शुरू हुए किसान आंदोलन के हिंसक हो जाने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद आहत हैं। राज्य सरकार उपलब्धियों और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में सांगठिनिक बिखराव को देखते हुए उन्हें उम्मीद थी कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में चौथी बार भाजपा सरकार बननी तय है। लेकिन अचानक उभरे किसान आंदोलन ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। उनका मानना है कि किसानों की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है। उन्होंने किसान आंदोलन पर कैबिनेट बैठक बुला कर सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों के बीच जा कर उनका विश्वास हासिल करने का प्रयास करें। लेकिन स्थिति यह है कि राज्य सरकार के मंत्री किसानों के बीच जाने से बच रहे हैं। यही नहीं-ऐसे मौके पर किसानों से सहानुभूति जताने की जगह उन्हें चेतावनी देने की कोशिश कर रहे हैं। गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह एक सप्ताह में कई बार अपने बयान बदल चुके हैं। इसी तरह गौरी शंकर बिसेन ने किसानों के कर्ज माफ नहीं करने की बात कही है। उन्होंने किसान आंदोलन पर एक बार भी संतुलित बयान नहीं किया, जिससे संदेश जाता कि वे किसान समस्याओं के प्रति गंभीर हैं। यही वजह है कि हाल के दिनों में किसान बड़ी संख्या में पार्टी से दूर गए हैं। इसके चलते कांग्रेसी खेमे में अचानक सक्रियता आ गई है।
सूत्रों के अनुसार शिवराज भी मानते हैं कि किसानों की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है। यही वजह है कि उन्होंने अनिश्चितकालीन उपवास को घोषणा करते हुए किसानों से सीधे संवाद की योजना बनाई है। इसका अनुकूल असर भी दिखाई दिया, जब मंदसौर पुलिस की गोली से मारे गए किसानों के परिजनों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उपवास खत्म करने का आग्रह किया। किसानों के रुख में बदलाव से शिवराज को राहत मिली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ईएमएस ने कहा कि शनिवार को 15 बड़े ओर 234 छोटे प्रतिनिधि संगठन मिले। राज्य सरकार किसान समस्याओं के प्रति गंभीर है। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य में शांति नहीं होती तब तक उपवास जारी रहेगा।